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Monday, February 27, 2012

नाहं जानामि केयुरे नाहं जानामि कुण्डले

नूपुर 

लक्ष्मण जी कहते है "नाहं जानामि केयुरे नाहं जानामि कुण्डले । नूपुरे त्वभिजानामि नित्यं पादा वन्दनातु ।।" ....अर्थात न तो मैं इन बाजूबन्दों को जानता हूँ और न इन कुण्डलों को, लेकिन प्रतिदिन भाभी माँ के चरणों में प्रणाम करने के कारण इन दोनों नूपुरों को अवश्य पहचानता हूँ । 
"मर्यादा ज्ञान नही हैं ...आचरण हैं. मन की शुद्धता..जो रिश्तों की गरिमा ही नही उसकी पवित्रता की तुलना माँ (भगवान् से भी ऊपर) जैसी रखी हैं ...........सनातन धर्म यही सिखाता हैं ....अगर सनातन धर्म से जिए तो किसी भी पर्दा प्रथा या नारी अंकुश जेसी रीतियों का पालन नही करना पड़ेगा ........क्यों की सनातन एक वो निकाय(system) हैं जिस के चलते पुरुष तो पुरुष, नारी भी मर्यादाओं का उल्लघंन नही कर सकती" 

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