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Monday, October 10, 2011

"राजपूत" और "क्षत्रिय" शब्द का अर्थ

"क्षत्रिय" संस्कृत का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है शासन चलाने वाला।  और "राजपूत" का अर्थ है  "son of a king" यानि राजा का पुत्र | हिन्दू धर्म में क्षत्रिय जाति को सबसे ऊँचा माना जाता है। हिंदू समाज व्यवस्था में क्षत्रियों का काम राष्ट्र की एकता, अखंडता, एवम संप्रभुता की रक्षा का था। क्षत्रिय लोग शस्त्र और शास्त्र  दोनों  में परांगत थे। क्षत्रियों त्याग और बलिदान के कारण आज हमारा देश भारत विश्व पटल पर सीना ताने खड़ा है। भगवान श्री राम और कृष्ण भी क्षत्रिय थे कुछ लोग भगवान श्री कृष्ण को गोप और गोपियों के साथ खेलने के कारण गोपालक वंश का समझते है किन्तु वे एक क्षत्रिय थे|

आज जब मै फेसबुक पर क्षत्रियों  के प्रोफाइल को देखती हूँ तो अधिकतम प्रोफाइल पर  मुझे देखने को मिला  "राजनीति में रूचि नहीं है" या तो Political Views नामक शीर्षक उपलब्ध ही नहीं| कोई सामाजिक गतिविधि भी नहीं है| तो आप "क्षत्रिय" या "राजपूत" किस बात के हुए|  "क्षत्रिय" शब्द का अर्थ है शासन चलाने वाला और आप शासन व्यवस्था में कोई रूचि ही नहीं है आप के लिए मेरी एक सलाह है आप अपनी मजबूरियों को अपना पति यानि (husband) बनाकर अपने नाम के आगे "श्रीमती" लगा लीजिए और चूडियाँ पहन कर घर में बैठ जाइये| क्यों की आप तो वोट भी देने नहीं जाते होगे| आपने तो खुल्ला छोड दिया है इन चोरों, बदमाशो, लूटेरे और भ्रष्टाचारीयो को हमारी भारतमाता को लूटने के लिए| जिस कुल-वंश में जन्म लिया है आप तो उसका भी धर्म नहीं निभा रहे|
केवल व्यवस्थाओ पर रोना बन्द करिए आप पुरुष है समाज ने आपको चूडियाँ नहीं पहनाई हैं आप अपनी जिम्मेदारियों से मुह नहीं छिपा सकते हैं "क्षत्रिय" होना गर्व कि बात है लेकिन जब आप आपने "क्षत्रिय" धर्म को निभायेगे तभी| झूठा क्षत्रियत्त्त्वा  केवल घमंड होता है|  हम नारियों ने चूडियाँ पहन रखी हैं फिर भी हम चट्टानों से टकराने का हौसला रखतीं हैं|

आप स्वयं विकल्प बनिए व्यवस्था को चुनौती दीजिए, लेकिन पूरी सच्चाई, निष्ठा और ईमानदारी से आइये| मित्रों आगे बढिए किन्तु सेक्युलर( कूकुरपंथी ) बन कर नहीं, धर्मपरायण बनकर|  क्यों की धर्मपरायण व्यक्ति शत्ता, शक्ति,  धन, लोभ, तृष्णा को आपने वश में रखता है अपनी शत्ता शक्ति का प्रयोग जनहित में करता है श्वाहित में नहीं, भ्रष्टाचार स्वतः ही समाप्त हो जायेगा|मै सेक्युलर को  कूकुरपंथी क्यों कह रही हूँ फिर कभी विस्तार से बताऊंगी| मै आशा करती हूँ आप अपने "क्षत्रिय" धर्म का सम्मान करेगे और देश राष्ट्र की एकता, अखंडता, एवम संप्रभुता की रक्षा करेगे।

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