जयचंदों, मीरज़ाफ़रों का प्रतिकार होना चाहिए,
उठा लो शस्त्र हर गद्दार पे अब वार होना चाहिए,
मिटा दो रास्ते सारे जो कायरता सिखाते हैं,
मार्ग शहीदों का ही अब स्वीकार होना चाहिए,
गिडगीडा के माँगॉगे तो भीख दे दी जाएगी,
हक़ के लिए आवाज़ मे, अधिकार होना चाहिए,
हाय बाय को आधुनिकता कहना तुम्हारी भूल है,
संबोधन मे "जय हिंद" का जयकार होना चाहिए
देश के दलालों का सम्मान, नोंच-पोंछ दो
हर चौराहे पे इनका अब तिरस्कार होना चाहिए,
माँ भारती को बेचते, लजाते नही हैं जो,
उन्ही के रक्त से माँ के चरणों, का सिंगार होना चाहिए,
जो खुद चल नही पाते, वो क्या देश सम्भालेंगे,
नेता सुभाषचंद्र बोस सा दमदार होना चाहिए,