कृष्ण और सुदामा की मित्रता आज भी प्रासंगिक है। सुदामा कृष्ण से गुजारे के लिए धन की इच्छा लेकर गए थे, लेकिन सुदामा का हृदय कामनाओं की सतह से ऊंचा था। जहां केवल कृष्ण ही कृष्ण विराज रहे थे। मुंह खोलकर सुदामा ने कुछ मांगा नहीं, हांथ से उठाकर कृष्ण ने कुछ दिया भी नहीं, फिर दोनों मित्रों के बीच में जो आदान-प्रदान हुआ वो किसी से छुपा हुआ नहीं है। जय श्री कृष्ण।।
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Krishna Sudama Milan |