सुषमा स्वराज ने "यूनाइटेड फॉर सेल्फ प्रोर्ग्रेस अलाइंस" सरकार को सुझाव सुझाव दिया है श्रीमद्भगवद्गीता को राष्ट्रीय पुस्तक घोषित कर दिया जाए एक अत्यंत हि प्रशंसनीय कदम ......इस बात के लिये उन्हें कोटि कोटि साधुवाद व धन्यवाद| गीता स्वयं भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी और वह आज भी प्रासंगिक है. इसलिए गीता को राष्ट्रीय पुस्तक का दर्जा देना ग़लत नही है, समयोचित है |
परम श्रधेय स्वामी विवेकानंद ने गीता को अपने जीवन व्यवहार में उतारा था| भूतपूर्व राष्ट्रपति परम आदरणीय प्रोफ़ेसर अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम जी जिन्होंने अनेको बार कहा कि वे गीता पढ़ते हैं और गीता को प्रेरणादायीग्रंथ मानते हैं।
महात्मा गांधी ने लिखा है कि अंग्रेजों से लड़ने की ताकत उन्हें गीता से मिली। ये बात अलग है की शारीरिक दुर्बलता और साहस के आभाव में उन्होंने अपना अलग रास्ता बनाया और अहिंसा शब्द का दुरुपयोग करते हुए उन्होंने कायरो की एक बहुत बड़ी फ़ौज खड़ी कर दी| कायरो की इस फ़ौज ने लक्ष्मीबाई, आजाद, भगतसिंह, अशफ़ाकउल्ला, रामप्रशाद, खुदीराम जैसे सच्चे क्रांतिकारियों राष्ट्र भक्तो को उग्रवादी घोषित कर इतिहास के पन्नों में डाल कर भुला दिया| केवल महान लोगो कि लिस्ट गाँधी से प्रारम्भ होती है और वर्तमान में सोनिया गाँधी पर खत्म होती है|
इन "हाँथ" वाले बाबाओ ने पूरा इतिहास चौपट कर के रख दिया है इनसे किसी अच्छे काम की उम्मीद नहीं की जा सकती है| गाँधी तो राष्ट्र पिता तो हो हि गए है इसी क्रम में रौलविंची को "राष्ट्रीय बच्चा" और मौन-मोहन को "राष्ट्रीय छक्का" घोषित कर दिया जाये| जय श्री कृष्ण |
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