FDI पर सरकार का एक तरफा निर्णय संसदीय लोकतंत्र के लिये घातक है| विपक्ष द्वारा इस मुद्दे पर चर्चा और मतदान की मांग पर सरकार की असंवेदनशीलता अत्यंत ही दुर्भाग्य पूर्ण है|
विपक्ष की यह मांग बिलकुल भी अनुचित नहीं है| यह एक संवैधानिक अधिकार एवं संसदीय कर्त्तव्य है
शायद इस असंवेदनशीलता के पीछे मुख्य समस्या यह है की चितंबरम, वाड्रा, राजा, कलमाड़ी, कनीमोझी व अन्य..... को आपने लूट के मॉल को री इन्वेस्ट करने के लिये कोई जगह नहीं मिल रही थी| अभी तक FII के रूप में मरिसस रूट से लूट का मॉल देश में आरहा था इस वर्ष जनवरी-मार्च के शेयर बाजार में चली गिरावट ऐसे ही गुप्त FII का कमाल था दिन दूना रात चौ गुना वृद्धि हुई लूट में किन्तु सुब्रमणियास्वामीके कारण उस रूट पर खतरा आगया था
अब FDI के रूप में लूट का मॉल भारत में रीइन्वेस्ट होगा| क्योंकि कोई अन्य देश इस प्रकार मनी लांड्रिंग(काले धन को सफेद करना) की खुली छूट नहीं देगा| यहाँ तो खुद की सरकार है कौन बोलेगा?
FDI in India’s Retail Sector More Bad than Good?
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